भारत में गेहूं उत्पादन नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने की संभावना

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भारत में गेहूं उत्पादन नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने की संभावना 🌾📈

📌 संदर्भ

🚜 कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी दूसरे अग्रिम अनुमान (Second Advance Estimates) के अनुसार, भारत में 2024-25 में गेहूं उत्पादन 115.3 मिलियन मीट्रिक टन के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने की संभावना है।

इस वृद्धि का श्रेय बेहतर मौसम परिस्थितियों, वैज्ञानिक कृषि तकनीकों और सरकारी समर्थन को दिया जा रहा है। यदि यह अनुमान सही साबित होता है, तो यह भारत के कृषि क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि होगी और खाद्य सुरक्षा को और मजबूत करेगा।


🌾 भारत में गेहूं उत्पादन – एक विस्तृत विश्लेषण

कुल क्षेत्र (2023-24): 318.33 लाख हेक्टेयर
उत्पादन अनुमान (2023-24): 113.92 मिलियन टन
गेहूं का स्थान:

  • क्षेत्रफल के हिसाब से: गेहूं, धान के बाद भारत में दूसरी सबसे बड़ी फसल है।
  • उत्पादन के हिसाब से: गेहूं भारत के कुल खाद्यान्न उत्पादन का महत्वपूर्ण हिस्सा है।

📍 भारत में शीर्ष गेहूं उत्पादक राज्य 🏆

भारत के कुछ राज्य गेहूं उत्पादन में अग्रणी भूमिका निभाते हैं। नीचे 2023-24 के अनुसार प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्यों की सूची दी गई है:

रैंकराज्यकुल उत्पादन (मिलियन टन)
1️⃣उत्तर प्रदेश~35 मिलियन टन
2️⃣मध्य प्रदेश~20 मिलियन टन
3️⃣पंजाब~17 मिलियन टन
4️⃣हरियाणा~13 मिलियन टन
5️⃣राजस्थान~11 मिलियन टन
6️⃣बिहार~6 मिलियन टन
7️⃣गुजरात~4 मिलियन टन
8️⃣महाराष्ट्र~3 मिलियन टन

🌍 प्रमुख गेहूं निर्यात गंतव्य (2023-24)

भारत अपने गेहूं का एक हिस्सा निर्यात भी करता है। 2023-24 में भारत ने निम्नलिखित देशों को सबसे अधिक गेहूं निर्यात किया:

📌 नेपाल, इराक, दक्षिण कोरिया, संयुक्त अरब अमीरात (UAE) और मंगोलिया।

👉 भारत 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण वैश्विक आपूर्ति में कमी के दौरान एक महत्वपूर्ण गेहूं निर्यातक बनकर उभरा था।


✅ गेहूं की खेती के लिए आवश्यक परिस्थितियाँ

गेहूं की फसल की सफलता मुख्य रूप से जलवायु, मिट्टी और सिंचाई की उपलब्धता पर निर्भर करती है।

🔹 🌡️ तापमान:

  • बुआई के समय: 10-15°C
  • पकने और कटाई के समय: 21-26°C
  • गर्मी या अत्यधिक ठंड से फसल को नुकसान हो सकता है।

🔹 🌧️ वर्षा:

  • 50-100 सेमी (आदर्श)
  • अत्यधिक बारिश से फसल खराब हो सकती है।

🔹 ☀️ सूर्यप्रकाश:

  • फसल के पकने के समय पर्याप्त धूप आवश्यक होती है।

🔹 ⚠️ संवेदनशीलता:

  • पाला (Frost) और ओलावृष्टि (Hailstorm) से फसल को गंभीर क्षति हो सकती है।

🔹 🌱 मिट्टी का प्रकार:

  • दोमट (Loamy) और चिकनी (Clayey) मिट्टी सबसे उपयुक्त।
  • सिंधु-गंगा के मैदानों में गेहूं की सबसे अधिक उपज होती है।

🔹 🧪 pH स्तर:

  • 6-8 (सामान्य से थोड़ा क्षारीय मिट्टी उपयुक्त)

📈 भारत में गेहूं उत्पादन में वृद्धि के प्रमुख कारण

1️⃣ उन्नत कृषि पद्धतियाँ

✅ पंजाब और हरियाणा में ज़ीरो टिलेज तकनीक (बिना जुताई वाली खेती) से मिट्टी का कटाव कम हुआ और पैदावार में सुधार हुआ

2️⃣ मिट्टी स्वास्थ्य प्रबंधन

मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना (Soil Health Card Scheme) के तहत उर्वरकों का संतुलित उपयोग किया गया, जिससे उत्पादकता बढ़ी।

3️⃣ सिंचाई सुविधाओं में सुधार

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY) जैसी योजनाओं के तहत सूक्ष्म सिंचाई तकनीक (Drip & Sprinkler Irrigation) को बढ़ावा दिया गया।

4️⃣ सरकार की नीतियाँ और समर्थन

न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में वृद्धि से किसानों को अधिक प्रोत्साहन मिला।
सरकारी खरीद प्रक्रिया को मजबूत किया गया।

5️⃣ जलवायु और मौसम का सकारात्मक प्रभाव

असामयिक बारिश या हीटवेव जैसी चरम मौसम घटनाओं की अनुपस्थिति ने फसल को बढ़ने में मदद की।


🌾 गेहूं उत्पादन में वृद्धि के प्रभाव

📊 1️⃣ खाद्य सुरक्षा:

  • रिकॉर्ड उत्पादन से भारत की खाद्य सुरक्षा मजबूत होगी।
  • घरेलू बाज़ार में गेहूं की कीमतें स्थिर रहेंगी।

🌍 2️⃣ निर्यात बढ़ने की संभावना:

  • वैश्विक बाजारों में भारत की स्थिति मजबूत होगी।
  • खाड़ी देशों, अफ्रीकी देशों और एशियाई बाजारों में निर्यात बढ़ सकता है।

👨‍🌾 3️⃣ किसानों की आय में वृद्धि:

  • अधिक उत्पादन से किसानों की आय में सुधार होगा।
  • सरकारी योजनाओं से लघु और सीमांत किसानों को लाभ मिलेगा।

📌 निष्कर्ष

🚜 2024-25 में रिकॉर्ड गेहूं उत्पादन भारत की खाद्य सुरक्षा, कृषि विकास और निर्यात क्षमता को मजबूत करेगा।

📢 यदि सरकार सिंचाई, जलवायु अनुकूल कृषि तकनीकों और बाजार सुधारों पर अधिक ध्यान दे, तो भारत आने वाले वर्षों में वैश्विक गेहूं बाजार में बड़ी भूमिका निभा सकता है।

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