चंद्रयान-4 भारत का चौथा चंद्र मिशन है, जिसे अक्टूबर 2027 में लॉन्च किया जाना निर्धारित है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) इस मिशन के तहत न केवल चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करने, बल्कि चंद्र नमूने एकत्रित कर उन्हें पृथ्वी पर वापस लाने का लक्ष्य रखता है। यह मिशन भारत की अंतरिक्ष अन्वेषण क्षमताओं में एक महत्वपूर्ण प्रगति का प्रतीक है।
मिशन का अवलोकन
चंद्रयान-4 में दो अंतरिक्ष यान होंगे, जिनका कुल वजन लगभग 4,750 किलोग्राम होगा। इस बार, ISRO एक बड़े यान के बजाय दो LVM3 रॉकेट्स का उपयोग करेगा। मिशन में जटिल डॉकिंग और अनडॉकिंग प्रक्रियाएँ शामिल होंगी, जो भारत की तकनीकी दक्षता को और उन्नत करेंगी।
वित्तीय सहायता और उद्देश्य
भारत सरकार ने इस मिशन के लिए 2,104 करोड़ रुपये (लगभग $240 मिलियन) आवंटित किए हैं। इसका मुख्य उद्देश्य चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र से नमूने एकत्रित करना है, जो वैज्ञानिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण क्षेत्र है। इस मिशन के माध्यम से भारत अमेरिका, रूस और चीन के विशिष्ट समूह में शामिल होने की योजना बना रहा है, जिन्होंने सफलतापूर्वक चंद्र नमूना वापसी मिशन पूरे किए हैं।
चंद्र नमूनों का महत्व
चंद्रमा से लाए गए नमूने वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए बहुमूल्य जानकारी प्रदान करते हैं। हालांकि रोबोटिक अंतरिक्ष यान स्थल पर अध्ययन कर सकते हैं, लेकिन उनकी विश्लेषणात्मक क्षमताएँ सीमित होती हैं। पृथ्वी पर लाए गए नमूनों का उन्नत प्रयोगशालाओं में गहन विश्लेषण किया जा सकता है, जिससे चंद्रमा की संरचना और इतिहास को बेहतर ढंग से समझने में सहायता मिलेगी।
तकनीकी नवाचार
चंद्रयान-4 कई नवीन तकनीकों का प्रदर्शन करेगा, जिनमें एक सतह सैंपलिंग रोबोट और ड्रिलिंग प्रणाली शामिल है। ये प्रणालियाँ सतह और उपसतह नमूने एकत्र करने में सहायक होंगी। यह मिशन आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देगा, क्योंकि इसके सभी महत्वपूर्ण तकनीकी घटक भारत में विकसित किए गए हैं।
मिशन के घटक और संचालन
मिशन के अंतर्गत पाँच प्रमुख मॉड्यूल होंगे:
- असेंडर मॉड्यूल (AM)
- डिसेंडर मॉड्यूल (DM)
- री-एंट्री मॉड्यूल (RM)
- ट्रांसफर मॉड्यूल (TM)
- प्रोपल्शन मॉड्यूल (PM)
लॉन्च के बाद, अंतरिक्ष यान एक अण्डाकार पृथ्वी कक्षा में डॉक करेगा और एक एकीकृत यान का निर्माण करेगा। इसके बाद, DM और AM चंद्रमा की सतह पर उतरने के लिए नियंत्रित अवतरण करेंगे।
नमूना संग्रह प्रक्रिया
चंद्रमा पर उतरने के बाद, DM एक रोबोटिक आर्म का उपयोग करके चंद्र सतह से नमूने एकत्र करेगा, जबकि ड्रिलिंग प्रणाली उपसतह सामग्री निकालेगी। इन नमूनों को विशेष कंटेनरों में संग्रहीत किया जाएगा ताकि पृथ्वी पर लौटते समय किसी भी प्रकार की संदूषण से बचा जा सके।
पृथ्वी पर वापसी
नमूने एकत्र करने के बाद, AM चंद्र कक्षा में वापस जाएगा और नमूने RM को स्थानांतरित करेगा। इसके बाद, TM और RM अनडॉक होकर पृथ्वी पर लौटने के लिए आवश्यक प्रक्रियाएँ पूरी करेंगे। अंत में, RM पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश कर सुरक्षित लैंडिंग करेगा।
भविष्य की संभावनाएँ
चंद्रयान-4 भविष्य में मानवयुक्त चंद्र मिशनों की नींव रखेगा। यह मिशन भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में कौशल विकास और रोजगार के नए अवसर सृजित करेगा। इसके अलावा, यह भारत की उन क्षमताओं को सुदृढ़ करेगा, जो भविष्य में भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा पर भेजने के लिए आवश्यक हैं।
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